Rabindranath Tagore Quotes in Hindi की इस पोस्ट में आपका स्वागत है।. दोस्तों आज हम रवींद्रनाथ टैगोर के विचार आपके साथ शेयर कर रहे है, अगर आप Rabindranath Tagore Quotes in Hindi तलाश कर रहे है।. तो यह पोस्ट आपके लिए है। रवींद्रनाथ टैगोर के कुछ उद्धरण आपके साथ साझा कर रहे हैं।. जिसे आप पढ़ सकते हैं और अपने जीवन में उपयोग कर सकते हैं। और आप इन कोट्स को अपने दोस्तों के साथ फेसबुक, व्हाट्सएप पर बिना किसी परेशानी के शेयर कर सकते हैं।
रबीन्द्रनाथ टैगोर, जिन्होंने भारत के राष्ट्रीय गान की रचना की और साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार जीता, हर अर्थ में एक बहुमुखी व्यक्तित्व था।. वह एक बंगाली कवि थे, ब्रह्मो समाज दार्शनिक, दृश्य कलाकार, नाटककार, उपन्यासकार, चित्रकार और संगीतकार। Rabindranath Tagore Quotes in Hindi.
वह एक सांस्कृतिक सुधारक भी थे. जिन्होंने शास्त्रीय भारतीय रूपों के क्षेत्र में इसे सीमित करने वाले सख्तताओं को फिर से भरकर बंगाली कला में संशोधन किया था।.
Rabindranath Tagore Information in Hindi
जन्म तिथि | 7 मई, 1861 |
जन्म स्थान | कलकत्ता, ब्रिटिश भारत |
मृत्यु की तिथ | 7 अगस्त, 1941 |
मौत का स्थान | कलकत्ता, ब्रिटिश भारत |
पेशे | लेखक, गीत संगीतकार, नाटककार, निबंधक, चित्रकार |
पत्नी | मृणालिनी देवी |
बच्चे | रेणुका टैगोर, शमिन्द्रनाथ टैगोर, मीरा , रथिंद्रनाथ टैगोर और मधुरिलता टैगोर |
पिता | देबेंद्रनाथ टैगोर |
मां | सरदा देवी |
पुरस्कार | साहित्य में नोबेल पुरस्कार (1913) |
“मित्रता की गहराई परिचय की लम्बाई पर निर्भर नहीं करती।”- रबीन्द्रनाथ टैगोर
“जो कुछ हमारा है वो हम तक तभी पहुचता है जब हम उसे ग्रहण करने की क्षमता विकसित करते हैं।. “- रबीन्द्रनाथ टैगोर
“यदि आप सभी गलतियों के लिए दरवाजे बंद कर देंगे तो सच बाहर रह जायेगा।”- रबीन्द्रनाथ टैगोर
“प्रत्येक शिशु यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है।”- रबीन्द्रनाथ टैगोर
“वे लोग जो अच्छाई करने में बहुत ज्यादा व्यस्त होते है, स्वयं अच्छा होने के लिए समय नहीं निकाल पाते.।”- रबीन्द्रनाथ टैगोर
“सिर्फ तर्क करने वाला दिमाग एक ऐसे चाक़ू की तरह है जिसमे सिर्फ ब्लेड है।. यह इसका प्रयोग करने वाले को घायल कर देता है।.” – रबीन्द्रनाथ टैगोर
“कला के मध्यम से व्यक्ति खुद को उजागर करता है अपनी वस्तुओं को नहीं। “-रबीन्द्रनाथ टैगोर
“मैंने स्वप्न देखा कि जीवन आनंद है. मैं जागा और पाया कि जीवन सेवा है मैंने सेवा की और पाया कि सेवा में ही आनंद है” – रबीन्द्रनाथ टैगोर
“आस्था वो पक्षी है जो भोर के अँधेरे में भी उजाले को महसूस करती है।”- रबीन्द्रनाथ टैगोर
“मौत प्रकाश को ख़त्म करना नहीं है; ये सिर्फ भोर होने पर दीपक बुझाना है।”- रबीन्द्रनाथ टैगोर
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Thoughts of rabindranath tagore
मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में अपनी राह बना लेती है।
फूल चुनकर इकट्ठा करने के लिए मत ठहरो । आगे बड़े चलो, तुम्हारे पथ में फूल निरंतर खिलते रहेंगे।
चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है, परंतु अपना कलंक अपने ही पास रखता है।
एकांत हमें बताता है कि हमें कैसा होना चाहिए।
थोड़ा पढ़ना, ज्यादा सोचना, कम बोलना, ज्यादा सुनना यही बुद्धिमान बनने के उपाय हैं !
यदि तुम सूर्य को खो बैठने पर आँसू बहाओगे तो तारों को भी खो बैठोगे।
जब मैं स्वयं पर हंसता हूं तो मेरे मन का बोझ हल्का हो जाता है।
अभिमन्यु व्यूह में घुसना जानता था, उससे निकलना नहीं. हिन्दू धर्म उससे ठीक उल्टा ही है।. उसके समाज में घुसने का मार्ग बंद है, निकलने के मार्ग हजारों में हैं।
अहंकार का अर्थ ही सराह करना है, संचय करना है, वह केवल लेता ही रहता है।
शील द्वारा ही चरित्र निर्माण होता है । शील हमारी गति के लिए संबल है।
ईश्वर की महाशक्ति मंद झोंके में है, तूफान में नहीं।
बहुरूपी आचरण करने वाला व्यक्ति पशु से भी बदतर है।
हम आजादी तभी पाते हैं, जब हम अपने जीवित रहने के अधिकार का पूरा मूल्य चुका देते हैं।
विघ्न हमारे हृदय की संपूर्ण शक्ति को जाग्रत करने के लिए उगता है।. विचार स्वयं को उरपने शब्दों से पोषण देता हे और विकास करता है।
वासना जिसका भी स्पर्श करती है, उसका प्रकाश क्षण-भर में बुझा देती है।
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Rabindranath Tagore Quotes in Hindi
सभ्यता
सभ्यता की भाषा में एक खास दिक्कत यह है. कि सब जगह और सब जगह के लोग उसे समझ नहीं पाते और असभ्यता की भाषा की यह शान है कि उसे सब जानते हैं।
सिर्फ वे लोग जिनमें सहयोग की मजबूत भावना रहती है. जीवित रहते हैं और सभ्यता की उन्नति करते हैं तो हम देखते हैं. कि इतिहास की शुरूआत से ही मनुष्य परस्पर संघर्ष या सहयोग तथा निजी हित साधन या समूह का हित-साधन में से एक को चुनता रहा है।
तारे ने कहा ‘मैं प्रकाश दूंगा । अंधकार दूर होगा या नहीं, यह मैं नहीं जानता हूँ. ? सिर्फ वे लोग जिनमें सहयोग की मजबूत भावना रहती है. जीवित रहते है और सभ्यता की उन्नति करते हैं तो हम देखते हैं. कि इतिहास की शुरुआत से ही मनुष्य परस्पर संघर्ष या सहयोग तथा निजी हित साधन या समूह का हित-साधन में से एक को चुनता रहा है।
माटी अपनी सेवाओं के एवज में पेड़ों को अपने संग बांधे रखती है, आकाश कुछ नहीं मांगता, उसे मुक्त रहने देता है।
चिड़िया कहती है ‘काश मैं बादल होती । ‘ बादल कहता है – काश मैं चिड़िया होता।
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शांति
मैंने शिखर को पार कर देखा है मगर यश की बेरंग और वीरान ऊंचाई में कोई शरण नहीं मिली ।. प्रकाश फीका पड़ने से पहले मेरे रहबर मुझे शांति की घाटी में ले चल जहां जिंदगी की फसल सुनहरे लान में सुफलित होती है।
मनुष्य सर्वत्र ही अपनी क्षुद्र बुद्धि और तुच्छ प्रवृत्ति का शासन फैलाकर कहीं भी सुख- शांति नहीं रहने देगा।
भारत नकारात्मक शांति नहीं चाहता । वह सदा शिवम अर्थात लोगों का कल्याण, परोपकार भलाई चाहता है ।. भारत अपनी संतति को कर्म से दूर नहीं रखना चाहता, अपितु निरंतर कर्म करते हुए शाश्वत तत्त्व के साथ साक्षात्कार में विश्वास करता है ।. वह शुद्ध ज्ञान के द्वारा पूर्ण सत्ता के साथ आध्यात्मिक मिलन चाहता है।
जो लोग शांति से सबकुछ सह लेते हैं उनके संबंध में यह बिल्कुल निश्चित है. कि उन्हें भीतरी चोट बड़ी गहरी पहुंची होती है।
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Rabindranath Tagore Quotes on Love ( प्रेम )
दंड देने का अधिकार सिर्फ उसे है जो प्रेम करता है।
प्रेम के उपहार दिए नहीं जाते, वे स्वीकार किए जाते हैं ।. प्रेम के बिना हमें एक-दूसरे का यर्थाथ परिचय भी तो नहीं मिलता।
सभी धर्मों का आधार प्रेम है । परमात्मा की खोज यहीं से शुरू होती है।
दूध का प्याला बिना मांगे तभी तुम्हारे सामने आता है जब तुम तपस्या कर लेते हो। वह प्रेम के साथ तुम्हें अर्पित किया जाता है और केवल प्रेम ही सत्य के प्रति अपना अर्ध्यदान कर सकता है। सौंदर्य
फूलों की पंखुड़ियों को तोड़कर तुम उसका सौंदर्य ग्रहण नहीं कर सकते।
परमेश्वर साथियों को खोजता है और प्रेम के अधिकार का दावा करता है। शैतान दासों को खोजता है और आज्ञापालन के अधिकार का दावा करता है।
सौंदर्य नरक में भी है, पर वहां के रहने वाले उसकी पहचान नहीं कर पाते यही तो उनकी सबसे बड़ी सजा है।
आवश्यकता की समाप्ति के बाद जो वस्तु अवशिष्ट रह जाती है, वही सौंदर्य है और वह सौदर्य हमें प्राप्ति के रूप में मिलता है।
मृत्यु
जीवन से मृत्यु में पर्दापण करना दिन से रात्रि में संक्रमण करने के समान है।
मृत्यु होने पर भी जीवन नष्ट नहीं होता, मृत्यु साथ ही चलती है, वह साथ ही बैठती है। और सुदूरवर्ती पथ पर भी साथ-साथ जाकर साथ लौट उगती ज्ञान
साहित्य का काम है हृदय का योग कर देना, योग ही साहित्य का अंतिम लक्ष्य है।
जो कुछ मर चुका है, उसे अपनी आत्मा का भोजन नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि जो मरा हुआ है, वह मृत्यु को लाने वाला है।
जिंदगी और मृत्यु से उसी प्रकार संबंध है जिस प्रकार जन्म से। गति के लिए पैर उठाना उतना ही आवश्यक है जितना पैर रखना।
विश्वविद्यालयों को ज्ञान संग्रह व वितरण करने वाला मशीनी संस्थान कदापि नहीं बनाया जाना चाहिए।. उनके माध्यम से लोग अपना बौद्धिक सेवाभाव तथा मानसिक संपत्ति दूसरों को अर्पित करें और प्रतिफल में शेष विश्व में उपहारों को पाने का अपना गौरवपूर्ण अधिकार प्राप्त करें।
जिस विषय को प्रभावित नहीं किया जा सके और अप्रमाणित भी नहीं किया जा सके. उसके बारे में मन को खुला रखना ही उचित है।
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